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Brahmwati Sharma

Abstract

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Brahmwati Sharma

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मेरा वजूद

मेरा वजूद

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यह जिंदगी लम्हा लम्हा मुझे मेरा वजूद याद दिलाती रही दिलाती रही।

यह जिंदगी कायनात के हर जर्रे जर्रे से मुलाकात मेरी कराती रही।


प्यार से दिल जीते लाखों मगर ता जिंदगी

मुझको क्यों रुलाती रही।


फिर भी नहीं हार मानी दिले बेकरार ने

न जाने क्यों मुझे सताती रही।


दौलत और शोहरत के हर मुकाम पर सिकंदर की याद दिलाती रही।

नहीं टूटना है,ए जिंदगी तेरी पनाहों में मुझे सारी कायनात नजर आती रही।


यह जिंदगी लम्हा लम्हा मुझे मेरा वजूद याद दिलाती रही दिलाती रही।



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