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MS Mahawar

Romance

3.9  

MS Mahawar

Romance

मेरा महबूब आने वाला है

मेरा महबूब आने वाला है

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ऐ बहारों ठहर जाओ ज़रा

मेरा महबूब आने वाला है

सितारे भी इस इंतज़ार में बैठे है

कि आज ज़मी पे चाँद निकलने वाला है 

आरज़ू नहीं उसे ज़िन्दगी से कोई

वो तो सिर्फ मुझसे मिलने वाला है

उसकी बाहों की गरमी से

मेरा ये दिल पिघलने वाला है 

अब ज़रूरत नहीं कागज़ के इन फूलों की

उसकी साँसों की खुशबू से ये समां महकने वाला है

दिल जो मुदद्तो से ख़ामोश था

आज उसके छूने से दिल फिर धड़कने वाला है 

वो चाँद सा रौशन

नूर का प्याला है

बड़ी कातिल है नज़रे उसकी

मुश्किल से दिल को संभाला है 

ऐ दिल कहीं फिर भीग ना जाये इश्क़ की बारिशों में तू

वो अपनी भीगी जुल्फें झटकने वाला है

जिस्म मिल जायेगा रूह से उसकी

वो जो आज मुझे अपनी बाहों में भरने वाला है 

मेरा इश्क वही है

सिर्फ वही मुझे चाहने वाला है

ख्वाहिशें नहीं मुझे अब ज़िन्दगी से कोई

उसकी बाहों में मेरा हर लम्हा गुजरने वाला है 

#love


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