मेरा ख़ुलूस तेरी आंखों सा गहरा है
मेरा ख़ुलूस तेरी आंखों सा गहरा है
मेरा ख़ुलूस तेरी आंखों सा गहरा है
कोई आसमाँ जैसा टुकड़ा नहीं
और नये सिमटा समंदर जैसा
इसे अपनी वफ़ा का पैमान न दो
मान लो कि हमें इश्क़ था ही नहीं
मगर मैं पत्थर हूं, ये इल्ज़ाम न दो।