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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

मेरा जब मरण होगा

मेरा जब मरण होगा

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मेरा जब मरण होगा

कोई न मेरे संग होगा

बजाना शहनाई

नाचना गाना,

हे मेरे प्यारो


फ़िर से मेरा ब्याह होगा

बिना पैरों के चढूँगा में घोड़ी

तुम्हारे कंधों पर मेरा शव होगा

धन, दौलत, रिश्ते नाते 

सब पीछे छूट जायेंगे

सबको बस कागज को,

जलाने का ख्याल होगा


रत्तीभर भी धन 

मेरे संग न होगा

ये रिश्तेदारों के आंसू

मेरी आग का शबनम होगा

मेरा जब मरण होगा

कोई न मेरे संग होगा


मत कर मनु तू अभिमान

ख़ाक का पुतला तेरा

कभी तो ख़ाक में होगा

तेरा कर्म ही तेरे साथ जायेंगे

तेरा भरम कब खत्म होगा

किराये की कोठरी है, ये शरीर


कभी तो किराया खत्म होगा

मेरा जब मरण होगा

कोई न मेरे संग होगा

ख़ाक में मिलते ही तेरे


सब रोना धोना छूट जायेगा

नाम लेकर कड़वे कौर का

सबका हाथ पेट पर होगा

फिर आयेगा तेरा उठावना

बात होगी तेरी मनभावना,

झूठ-मुठ ही तेरी, 


शान का गुणगान होगा

जिसे तूने चाहा दिलोजान से

वही हमसफ़र तुझे भूलकर

कुछवक्त बाद हंसता होगा

बारहवां,तेरहवाँ होगा 

तेरे नाम पर


धूम मचायेंगे ज़िमनेवाले,

तुझे बस धूप का ही दान होगा

मेरा जब मरण होगा

कोई न मेरे संग होगा

बेटा करेगा कुछ दिन याद,फिर

बीवी के आंचल में छुप जायेगा

जिसे तूने छोटे से बड़ा किया,

उस बेटे के पास तेरी


महीने की धूप का वक्त न होगा

बेटा, बेटा करते करते

तेरी जान निकलती है

वही बेटा पत्नी के कहनेपर,

तेरी तस्वीर को कूड़े में फेंकता होगा

मेरा जब मरण होगा


कोई न मेरे संग होगा

भागदौड़ कितनी कर रहा है

कुत्ता जैसे तू मर रहा है

एकबार पूंछ तो ले 

जो तेरे अजीज है

कौन-कौन तेरे पाप में शरीक होगा


पत्नी का तुझे है भरम

पूंछ ले उसे तो वो सनम

क्या बोलेगी वो,

हमारी क्या गलती है

हमारी किस्मत तुमसे ही बनती है

तुम्हारे पापों में हमारा हिस्सा न होगा


बेटों का क्या होगा जवाब

सुन ले तू ज़रा जनाब,

बोलेंगे वो,

कर रहे हो तुम पाप

हमारे तुम हो बाप

हमे पालना तुम्हारा है काम


तुम्हारे पापों में हमारा नाम न होगा

मेरा जब मरण होगा

कोई न मेरे संग होगा

रोशनी है आँखो में,

पैरों में है ताक़त,सीने में है दम


तब तक खत्म करले

सारे तू अपने गम

नही तो कुछ समय बाद

बुढापा आते आते

लकड़ी का तू दास होगा


हरि का न कुछ तुझसे जप होगा

परहित का न कोई सामर्थ्य होगा

समय मिला है अभी का

क्या बचपन,क्या जवानी का


ले नाम उस ख़ुदा का,

काम कर तू भलाई का,

तेरा जन्म सफल होगा

उस राम के जपने से


सबके दिल मे बसने से,

हर गली,हर शहर,

हर देश,हर जगह

तेरा नाम जगमगाता होगा

इस बुलबुले सी जिंदगी का


तू लहराता एक सागर होगा

तेरा जब मरण होगा

तेरा अच्छा काम,

तेरा सच्चा काम,


सबकी जुबां पर होगा

तेरा नाम साखी,

ख़ुदा की डायरी में 

सबसे ऊपर होगा।


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