मेरा गांव---
मेरा गांव---
मेरे गांव के ठीक पश्चिम एक नदी बहती है
जिसे छोटी गंडक कहते
हैं
इसी नदी किनारे
मेरे पिता और उनके पिता ने जो
पेड़ लगाए थे वो आज भी
मुसल्सल खड़े हैं।
इसी नदी किनारे एक निलहा-खेत
है हमारा
जहाँ अब सुथनी
बोई
जाती है।
इस
निलहें
खेत को जब भी
देखता
हूँ
अपने पुरखों की पीठ
पर पड़े
दर्द का टीस महसूस
करता हूँ।
