मेरा देश -(थीम -4)
मेरा देश -(थीम -4)
है अखिल विश्व परिवार हमारा,
लेकिन सब दुनिया से ही न्यारा।
विश्वगुरु और चिड़िया सोने की,
विख्यात रहा प्यारा भारत न्यारा।
भा और रत दो शब्दों से मिलकर,
शब्द भारत का हुआ है निर्माण।
प्रकाश ज्ञान का फैलाने में जो लगा,
यही संस्कृति ही है निज देश का प्राण।
वही प्राचीन गौरव पाने की खातिर,
हर सच्चा भारतीय जुटा है सारा।
है अखिल विश्व परिवार हमारा,
लेकिन सब दुनिया से ही न्यारा।
विश्वगुरु और चिड़िया सोने की,
विख्यात रहा प्यारा भारत न्यारा।
अखिल विश्व जब एक कुटुम्ब है,
तो हर जन ही है अपना परिजन।
एक दूजे का सम्मान करें और,
सहयोग करें देकर तन-मन-धन।
परायेपन का भाव पूर्ण त्याग कर,
जुड़ें सभी से ज्यों हो वह बड़ा हमारा।
है अखिल विश्व परिवार हमारा,
लेकिन सब दुनिया से ही न्यारा।
विश्वगुरु और चिड़िया सोने की,
विख्यात रहा प्यारा भारत न्यारा।
सब करें सभी से गहरा सच्चा प्यार,
जैसा हैं चाहते खुद ही के लिए हम।
सब निज खुशियों को बांटें सबके संग,
और खुद बढ़ के बंटाएं सबके ही ग़म।
निस्वार्थ भाव से मेलजोल के प्रभाव से,
आर्य भूमि पर आएगा रामराज्य दोबारा।
है अखिल विश्व परिवार हमारा,
लेकिन सब दुनिया से ही न्यारा।
विश्वगुरु और चिड़िया सोने की,
विख्यात रहा प्यारा भारत न्यारा।