मेरा भारत
मेरा भारत
एक बार मैंने एक स्वप्न देखा
स्वप्न में भारत माँ को देखा
जो आसूँ बहा रही थी
नत नयन और मस्तक झुकाए खड़ी थी
बड़ी ही उनकी विचित्र स्थिति थी
मैं तो हैरान था
कशमकश स्थिति में था
आज, माँ को क्या हुआ है ?
क्यों, आसूँ बहा रही है ?
कुछ तो बात हुआ है
जो माँ मुझसे छुपा रही है
माँ से मैंने पूछा
क्यों, आसूँ बहा रही हो ?
कौन सी विकट परिस्थितियों
से आप गुजर रही है ?
मेरी बात सुनकर
भारत माता बोली।
बेटा, आज मेरे संतान
कर्तव्यहीन और
आलसी हो गए हैं
भ्रष्टाचार और गरीबी
अब मेरे चिरसँगी हो गए हैं
जिससे मैं बड़ी ही चिंतित हूँ
एकाएक मेरा स्वप्न टूटा
जैसे मैं नींद से जागा
स्वप्न की बात आज सच
हो रही है, मानो
जैसे भारतमाता
आसूँ बहा रही है।
