में आई पिया, सब छोड़कर
में आई पिया, सब छोड़कर
आ गई हूं, तेरे घर पिया सब छोड़कर
मां-बाप, भाई, सब सखियां छोड़कर
सात फेरे लिये अग्नि साक्षी मानकर
दिल न तोड़ना पिया, पराया जानकर
तेरे साथ सदा निभाऊंगी ओ पिया
मैने माना तुझे खुदा, सबको छोड़कर
आप दिनभर कहीं पर भी काम करो
पर आ जाना आप रात को लौटकर
जब आप नही आते हो, जी न लगता
चिंता रहती आपके बारे मे सोचकर
आ गई हूं, तेरे घर पिया सब छोड़कर
रखना सदा मुझे हृदय से जोड़कर
लगाती हूं मेहंदी, बिंदी पिया नाम की
अच्छा लगता, कहते में पत्नी आपकी
पिया में एक तुलसी हूं, तेरे आंगन की
तेरे बिन यह जिंदगी है, किस काम की
में हूं, एक किरण आप हो मेरे दिवाकर
जीवन मे कभी झूठ नही बोलना, पिया
चाहे देना तकलीफ, मुझे सत्य बोलक
र
झूठ से लगती है, बेहद असहनीय ठोकर
मेरी अर्थी ही जायेगी, तेरे घर को छोड़कर
में हूं सबसे पराई, पर हूं तेरी जीवनसाथी
तुझे सौंपी, जीवनडोर अपना दिल जानकर
कभी न रुलाना मुझे अपना दिल तोड़कर
जब भी बाहर आहट होती, आती दौड़कर
आप ही जिंदगी हो, आप ही मेरी बंदगी हो
आप न जाना कभी, पिया मुझे छोड़कर
बुढापे की लाठी बनूंगी, सबकुछ छोड़कर
केश की चांदनी तक में साथ निभाऊंगी
आपको दूंगी न गम, सब सह लूंगी सितम
में पत्नी लूंगी, साथ के लिये साथ जन्म
आपको ले आऊंगी, यम से मौत मोड़कर
नित सिंदूर लगाती हूं, में आपको रिझाती हूं
में आपकी पत्नी साथ दूंगी, में हर मोड़पर
यही बस स्वामीजी मेरी आखरी इच्छा है
डोली में आई, जाऊं अंत मे सुहागन होकर।