मदर्स डे पर हर माँ को एक अनमोल उपहार
मदर्स डे पर हर माँ को एक अनमोल उपहार
वे कहते हैं, माँ की ममता एक सुकून है, एक जज़्बा है।
पर सच कहूँ तो, मानव में मानवता भरती, विश्व को सुसंस्कृत करती,
यह तो स्वयं में सम्पूर्ण एक संस्था है।
कौन सी माँ होगी, जो अपनी ममता में पूर्णत्व नहीं लाना चाहेगी।
ज़रा सोचो, कैसे कोई समझ पाएगा,
अपनी कोख में मौजूद अपने अंश को कैसे उसने महसूस किया होगा?
अपने अंदर एक संसार को रचने का वो कैसा एहसास रहा होगा?
आज अगर उस एहसास को हर पल वो जीना चाहे, तो उसमें गलत ही क्या है।
उस बीज को पूरा पोषण, शुद्ध वातावरण देना चाहे, तो उसमें गलत ही क्या है।
आज मदर्स डे पर, क्यों ना हम सब खुद से वादा करें।
हर माँ को क्यों ना, ममत्व के सागर में डूब जाने दें।
हर माँ को क्यों ना, उसकी सम्पूर्णता का एहसास हो जाने दें।
क्या हुआ जो एक सुबह वह उठ नहीं पाई। क्यों उसे अपराध बोध से ग्रस्त करायें।
न जाने कितनी रातें वो तो सो भी न पाई होगी। क्यों ना उसके ममत्व में, हम भी हाथ बटाएं।
वह एक पत्नी भी है, एक बहु भी, शायद एक कामकाजी महिला भी।
क्यों ना उसका बोझ हम थोड़ा सा कम कर दें।
उसके जीवन के उन अनमोल पलों में, क्यों ना उसे बस माँ ही रहने दें।