वर्ष 2020 और 2021 की यात्रा
वर्ष 2020 और 2021 की यात्रा
वे कहते हैं, वर्ष 2020 एवं 2021 तो नकारे ही बीते।
पर हमने तो भई, इन नकारों से भी ढेरों सबक हैं सीखे।
भूल चुके थे हम सब, परिवार का अर्थ क्या है।
कोरोना ने सिखाया,
मिलकर जीने में ही तो ज़िन्दगी का असली मजा है।
अस्पतालों में हमने उनको लाचारी में गिड़गिड़ाते देखा,
जो हैलीकाॅप्टर बिन चल ना पाते थे, ठोकर लगाने में कभी न हिचकिचाते थे।
और उधर, कोरोना को हमने उनके आगे हारते भी देखा,
जो खुले आसमान तले अक्सर भूखे प्यासे सो जाते थे।
बहुत से मेरे जैसे उम्रदराज शिक्षक मानते हैं,
आनलाइन कक्षाओं का शत शत आभार।
आखिर तभी तो हम दिखा पाए, कि इस उम्र में भी,
उठा सकते हैं हम, उसके लैपटाप का भार।
पूरा प्रशिक्षण ले लिया, हमने साफ्टवेयर का भी।
न सोचा था कभी, इस उम्र में हो जाएगी,
हमारे एकेडेमिक प्रोफ़ाइल में एक और वृद्धि।
है यह तो सत्य भी, कि चाहें गर सीखना,
तो उम्र भला कब रखती है कोई शर्त कभी।
तो आज की वर्चुअल लाइफ से, क्यों ना मैं सबक ले लूँ।
उम्र के तीसरे पड़ाव में बेशक पहुँच चुकी हूँ,
मिला गर चौथा पड़ाव, तो उस रीयल लाइफ को क्यों ना बेहतर जी लूँ।