मदारी
मदारी
जीवन भी एक खेल मदारी
जो न समझे रहे अनाड़ी
चलती रहे जीवन की गाड़ी
अभी अगाड़ी कभी पिछाड़ी।
वक्त हरपल निशाना बनाए
तकदीर हो तो बच पाए
रजनी अपना आँचल फैलाए
दूर होता उजियारा नज़र आए।
मुश्किलें मित्रता निभाए
हरपल साथ चलती जाए
कदम से कदम साथ मिलाए
चुके न कभी न भूल पाए।
आओ मुश्किलों से हाथ मिलाए
चलो अब तुमसे ही दोस्ती निभाए
तुम्हारे हर वार को सह जाए
मुस्कुराकर दोस्ती निभाए।
जीवन सुगम बन जाए
जब तकलीफ ही हो हमसफ़र
फिर किसी से क्यों घबराए।
