मैं तुझसे भला क्या चाहता था
मैं तुझसे भला क्या चाहता था
मैं तुझसे भला क्या चाहता था
वफ़ा के बदले वफ़ा चाहता था
खुदा ने मुझसे छीन लिया तुझे
मुझसे ज्यादा तुझे खुदा चाहता था
ग़ुमाँ क्यूँ न हो खुद पर मुझे
मैंने चाहा जिसे उसे खुदा चाहता था
किसी गैर का मैं हो भी जाऊँ तो क्या
होना तो सिर्फ मैं तिरा चाहता था
तूने कहा हीं नहीं कुछ पूछने को
मैं पूछना तुझसे तिरा पता चाहता था
तेरे बारे में जब कभी पूछा किसी ने
मैंने हर किसी से यही कहा चाहता था।
