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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Inspirational

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पूजा भारद्वाज "सुमन"

Inspirational

"मैं नारी हूं आत्मसम्मान से भरी हूं मैं"

"मैं नारी हूं आत्मसम्मान से भरी हूं मैं"

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मैं नारी हूं आत्मसम्मान से भरी हुई

सीता बनी वनवास गई, राधा बनी विरह में जी

मीरा बनी तो विष पिया,पर आत्मसम्मान ना खोने दिया

मैं नारी हूं, आत्म सम्मान से भरी हूं मैं!

कभी अपनी मर्जी से नहीं चली तुम्हारे कदमों पर अपने कदम रखकर, तुम्हारे साथ सती हुई मैं

मेरी छवि निराली थी, सुंदर मुखड़ा, चेहरे पर मुस्कान भरी थी फिर भी पर्दे के पीछे रही हूं मैं, 

ससुराल और मायके की दहलीज की लाज में फिर भी जन्म लेने का हक तक छीन लिया मुझसे , 

कई नामों से भी पुकारा मुझे ,लगा कि मैं इस धरती की भगवान की बनी हुई एक रचना हूं पर क्या एक बड़ा कलंक हूं मैं

पर अब मैंने बोलना भी सीख लिया क्यूंकि

मैं नारी हूं आत्मसम्मान से भरी हूं मैं!

भोर की किरण के साथ आज भी आरती करके अपने घर को महका देती हूं मैं 

मेरी पायल की छन छन की आवाज से भर जाता है मेरा घर आंगन

मगर अब  अपनी शर्तों पर जीती हूं मैं

मैं नारी हूं आत्मसम्मान से भरी हूं मैं!

आज भी साड़ी पहनकर अपने को आईने में देखकर इतराती हूं मैं पर अब अपने चेहरे को नहीं छुपाती हूं मैं 

अब अपने प्रतिबिंब को देख कर खिलखिलाती हूं और अपने पल्लू को हवा में लहराकर इठलाती भी हूं मैं

क्योंकि मैं नारी हूं और आत्म सम्मान से भरी हूं मैं!

कुछ नहीं बदला मेरी जीवन में, आज भी एक नए जीवन को जन्म देती हूं मैं

पर अब मैं शिक्षित हूं और अब दूसरों को भी शिक्षित करती हूं मैं, 

अब देश भी चलाती हूं और अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को भी छूती हूं मैं

क्यूंकि मैं नारी हूं आत्मसम्मान से भरी हूं मैं!

पहले कई लोगों ने मुझे लूटा खसोटा तरह तरह की प्रताड़नाएँ दी, तब चांद की चांदनी ना देखी थी डर लगता था रात से

पर अब नहीं अब रात को अपनी मर्जी से घूम कर  कोई मुझे घूर कर देखे तो उसको सबक भी सिखाती हूं मैं, 

और अब अपने लिए ख्वाबों के साथ उड़ान भरती हूं मैं।

"मैं नारी हूं, और आत्मसम्मान से भरी हूं मैं"


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