मैं कौन हूँ।
मैं कौन हूँ।
मैं कौन हूँ,
क्या अस्तित्व है मेरा?
ढूढंती हूं इसका जवाब,
करती हूं इंतजार।
कभी लगता है
हूं एक बेजान चीज,
जिसका नहीं है कोई मोल।
क्या हूं बिकाऊ?
या आराध्या?
पता नहीं
क्या हूं माल या हूं मान ?
क्या हूं सामान या सम्मान ?
पता नहीं
ऐसे हैं अनगिनत सवाल,
जिनका नहीं है कोई जवाब,
न कभी था और न कभी होगा।