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Raja Sekhar CH V

Abstract

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Raja Sekhar CH V

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मैं हूँ समय

मैं हूँ समय

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मैं हूँ बलवान समय,

मैं हूँ वर्त्तमान समय,

मैं हूँ भूतपूर्व समय,

मैं हूँ भविष्य समय।


प्रति क्षण का तीक्ष्ण वीक्षण सर्वेक्षण करूँ मैं,

प्रति सम्वत के सूक्ष्म संवाद का साक्षी हूँ मैं,

आगामी दिवस को आज का रूप देता हूँ मैं,

आज को पिछला दिन परसों अतीत करूँ मैं।


निरंतर गतिशील रहूं मैं,

पीछे मुड़कर न देखूं मैं,

चिरकाल निष्पक्ष रहूँ मैं,

भले बुरे के समीप हूँ मैं।


सर्वदा सत्य असत्य को देख सकता हूँ मैं,

सबको सामान स्थिति में ला सकता हूँ मैं,

समतल अवस्था में संशोधन करता हूँ मैं,

किसीके आगे नतमस्तक नहीं होता हूँ मैं।


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