Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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मैं हूँ न

मैं हूँ न

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क्या चिंता क्या ग़म करना

जब तक मैं हूँ,

न रोना,न परेशान होना

जब तक मैं हूँ।


हर दुविधा त्याग दो

स्वच्छंद मस्त होकर जियो

जितने भी दर्द तुम्हारे हैं

सब मुझे दे दो

आखिर मैं हूंँ न।


निंदा नफरत त्याग दो

ईर्ष्या द्वेष दूर भगा दो

भला किसी का करो न करो

पर किसी की राह में काँटे न बिछाओ।


किसी चेहरे पर मुस्कान नहीं ला सकते

कोई बात नहीं है प्यारे

पर किसी की आँखो से बहे आँसू

ऐसा कोई काम न ही करो।


किसी को दे सको तो अच्छा है

न भी दे सको तो भी ग़म न करो,

पर किसी से स्वार्थ वश कुछ लेने का विचार

मन में हो भी तो अभी त्याग दो।


खुद पर भरोसा करना अच्छा है

बस वही करना,

जब कदम डगमगाने लगें

या खुद से भरोसा उठने लगे

तब मेरी ओर देखना

मुझ पर भरोसा करना,


तुम्हारा विश्वास लौट आएगा

कदम लड़खड़ाना बंद कर देंगे

क्योंकि जब तुम्हें विश्वास होगा

तब तुम्हारा हर कदम 

खुशहाली की ओर बढ़ेगा

तब तुम्हें एहसास होगा

मैं हूँ न ! मैं हूँ न ! मैं हूँ न ! 


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