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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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कर्मों का बहीखाता

कर्मों का बहीखाता

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हम सब जानते हैं

जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल पायेंगे

गीता का यही ज्ञान, है जीवन का विज्ञान।

कौरव पाँडव का उदाहरण सामने है

रावण विभीषण, सुग्रीव बाली के बारे में

हम सब जानते हैं

कँस का भी ध्यान है या भूल गए।

सबका बहीखाता चित्रगुप्त जी ने सहेजा,

किसी को राजा तो किसी को प्रजा

तो किसी को रंक बनाकर भेजा

अमीर गरीब का खेल भी मानव का नहीं

कर्मानुसार उसके बहीखातों का खेल है।

यह और बात है कि हमें

अपने पूर्व जन्म या जन्मों का ज्ञान नहीं होता,

इसीलिए अपने कर्मों का भी हमें पता नहीं होता।

और हम

सब इस जन्म के साथ ही

पूर्वजन्मों के कर्मों का फल पाते हैं।

क्योंकि हमारे कर्मों का बही खाता निरंतर भरता रहता है,

उसी के अनुसार कर्म फल का निर्धारण होता है

और हमें अच्छा बुरा कर्म फल मिलता है।

वर्तमान जीवन में ही नहीं मृत्यु के बाद भी 

चित्रगुप्त जी के बहीखाते में दर्ज 

हमारे कर्मों के अनुसार ही

कर्म फल का निर्धारण होता रहता है,

सत्य यह भी है कि हमारा एक एक कर्म 

चित्रगुप्त जी के बहीखाते में

दर्ज़ होने से कभी छूटता भी नहीं,

इसीलिए तो इसे कहा जाता है

कर्मों का बहीखाता।



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