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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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मेरी माटी मेरा देश

मेरी माटी मेरा देश

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मेरी माटी की महिमा अपार है

जान रहा इसे सारा संसार है,

भिन्न भिन्न है बोली वाणी 

अरु भिन्न भिन्न परिधान है।


बहुरँगी सँस्कृति यहाँ की

और विभिन्न त्योहार है,

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई 

सबका आपस में प्यार है।


जाति-पाति का भेद न कोई 

न ऊँच नीच की बात है,

सामाजिक समरसता इसकी

दुनिया में विख्यात है।


सीना ताने खड़ा हिमालय 

देता अविचल संदेश है

दुश्मन कोई बच ना पाए,

ऐसी माटी का देश है।


नित उन्नति पथ पर बढ़ता है

नित नव गढ़ता आयाम है,

हर मुश्किल में एकजुट रहता

दे रहा सीख संदेश है।


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p>शिक्षा, कला, संस्कृति में 

नित गढ़ता बढ़ता आयाम है,

सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका

सबसे बड़ी पहचान है।


स्वास्थ्य, परिवहन, तकनीकों में 

हर दम आगे बढ़ता है,

सजग प्रहरी सीमाओं पर

सीना तान खड़ा रहता है।


नहीं किसी को दुश्मन माने

यह हम सबकी शान है,

पर आँख दिखाए यदि कोई 

तो छीन ले रहा प्राण है।


आज कोई भी देश सामने 

हमसे अकड़ नहीं सकता,

आँखों में आँखें डालकर भारत

सीना तान कर बातें करता।


आज विश्व में भारत को नित

मिल रहा बड़ा सम्मान है,

भारत का बढ़ता कद कहता 

भारत की नव पहचान है।



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