मैं हर स्त्री के मन की बात हूँ
मैं हर स्त्री के मन की बात हूँ
मै हर स्त्री के मन की बात हूँ...
ऐ दस्तूर बडा कमाल का है
सब शास्त्रों वैदो के नाम मेँ भेंट चड जाउँ
मैं हर स्त्री के मन की बात हूँ।
समाज बेटी पढावो
का परचम लहराकर हर रिति रिवाज के नाम
अपने सपने आँसु मे बहा दैने वाली नदी हूँ,
मैं हर स्त्री के मन की बात हूँ।
प्यार किसी और से शादी किसी ओर से,
दिल के जस्बातो को समजाने की आदत सी
हो गई हैं,पर ईस बेचैन से दिल का क्या?
मेँ इज्ज़त के नाम पर कुरबान हुई
हर स्त्री के मन की बात हूँ।
नवरात्रि बहुत प्यारा त्योहार हैं,
नौ दैवी ओकी पूजा तो बडी भक्तिभाव से
की करने वाले अपनी ही बेटी और पत्नी
को घरों गाली-गलौज करने वालों की कोई कमी नहीं,
मे घरेलू हिंसासे पिडित हर स्त्री के मन की बात हूँ।
बेटी बचाओ बेटी बचाओ का नारा लगातार,
बडी बडी डिन्गे मारने वाले मैंने बहुत दैखे है,
बेटो की चाहत के गर्भ मेँ मार दी गई हुई
हर, बेटी की चित्कार हूँ, मैं स्त्री के मन की बात हूँ।
मां कहेती है तुम घर कि इज्ज़त खराब मत करो,
बेटो को नहीं कहा जाता कि तुम किसिकी ईज्जत
से साथ खेला न करो,हवस का शिकार बनी हुई
स्त्री के मन की बात हूँ।
ए दस्तुर बडा कमाल का है,
सब वैदों शास्त्रोंं के नाम मेँ भेंट चढ़ जाऊँ,
मेँ वो हर स्त्री के मन की बात हूँ।