मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ


मैं एक नारी हूँ
अपनों से हारी हूँ।
खुद प्यासी हूं पर
शीतल जल की झारी हूँ।
औरों के दुख हरती
खुद किस्मत की मारी हूँ।
जन्म मेरा है नागवार
खुशियों की किलकारी हूँ।
प्रेम, दया, ममता देती
ऐसी मैं महतारी हूँ।
दुनिया को सब सुख दूँ
ऐसी मैं दुनियादारी हूँ।
फल फूल और छाया दूँ
ऐसी मैं फुलवारी हूँ।
अंत में दामन पाए खाली
ऐसी मैं लाचारी हूँ।
मैं हल्की हूँ, मैं भारी हूँ।
मैं शीतल हूँ, चिंगारी हूँ।
मैं कुछ नहीं, मैं सब कुछ हूँ।
मैं जीवनदाता, मैं एक नारी हूं।।