मैं एक नारी हूँ
मैं एक नारी हूँ
मां ने रोक लगाई उसे
प्यार का नाम दे दिया,
पिता ने बंदिशें लगाई उसे
संस्कारों का नाम दे दिया,
सास ने कहा अपनी इच्छाओं
को मार दो उसे,
परंपराओं का नाम दे दिया
ससुर ने घर को कैद खाना
बना दिया उसे ,
अनुशासन का नाम दे दिया
पति ने थोप दिये अपने सपने
अपनी इच्छाएं उसे
वफा का नाम दे दिया,
बच्चों ने अपने मन की की
उसे नई सोच का नाम दे दिया,
मंदिर में गई तो
महाराज ने उसे
कर्म का नाम दे दिया,
ठगी सी खड़ी में
जिंदगी की राहों पर
और मैंने उसे किस्मत
का नाम दे दिया,
जिंदगी तो मेरी थी
एक पल जीने को तरस गई
फिर भी इन चलती सांसो
को हमने
जिंदगी का नाम दे दिया.....!!