मैं एक जल जीवन का अंग
मैं एक जल जीवन का अंग
मैं एक जल जीवन का अंग
सब रहते हैं मेरे ही संग
मैं हूं एक अनमोल वो धन
जिसका कोई मोल नहीं
जीव से है मेरा एक ऐसा रिश्ता
जैसे धरती गगन आकाश का हो
हर कण कण में है वास मेरा
मुझसे ही बुझता प्यास तेरा
मेरे बिन वृक्ष चमक को तरसे
खेत तालाब सूखे मेरे बिन बरसे
मेंढ़क अपनी आवाज को तरसे
फुलवारी अपनी प्यास में तड़पे
बादल गरजे मेरे बिन बरसे
मेरे बिन सब जीवन को तरसे!
