मैं बेरोजगार हुं.............।
मैं बेरोजगार हुं.............।
बेरोजगार हूं इसलिए मेरा भी है कुछ सपना,
रोजगार नहीं है इसलिए मेरा भी कोई होगा अपना,
कब होंगे ये मेरे सपने पूरे,
मुझे तो लगता है पैदल चलते चलते यहीं रह जाएंगे अधूरे,
मैं बेरोजगार हूँ...........…............।
घर जाता हूं तो मां देखती है मेरा चेहरा,
बैठा इस बेरोजगार के चक्कर में कितना हो गया तू बेहरा,
मैं बैठा बैठा इस शिक्षा का इम्तिहान देख रहा हूं,
और घर से दूर बैठा बैठा रोटियां सेक रहा हूं।
मैं बेरोजगार हूँ...........…............।
इन बड़ी-बड़ी कॉलेजों से कर ली पूरी डिग्री,
रोजगार नहीं है इसलिए मुझे लगता है नहीं कोई जिगरी,
पढ़ पढ़ कर पत्थर बन गया नहीं मिला ,रोजगार
हूं वैसा का वैसा ही जैसा था पहले ,बेरोजगार
मैं बेरोजगार हूँ...........…............।
सोचता हूं इतना पढ़ने पर मिली तो है, शिक्षा
पर इस बेरोजगार के चक्कर में सोच रहा हूं अभी तो क्या मांगू, भिक्षा
गांव और शहर का रस्ता भी हो गया, याद
पर अभी तक नहीं मिला इस रोजगार का ,स्वाद
मैं बेरोजगार हूँ...........…............।
मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं छोटे-छोटे बच्चे,
पर मैं तो फंसा हूं बेरोजगार में इसलिए रह गए कच्चे,
कभी विदेशों में, कभी फोनों में
और बैठा बैठा बांटता हूं इन डिग्रियों को जोनों में,
मैं बेरोजगार हूँ...........…............।
पढ़ते-पढ़ते बहुत कॉपियां लिखी है,
बेरोजगारी की छोटी-छोटी बातें बहुत सीखी है,
मिलते हैं दोस्त, पूछते हैं मिला रोजगार,
दोस्त क्यों करता है खर्चा तू खुद ही तो है, बेरोजगार
मैं बेरोजगार हूँ...........…............।
कितने शहरों में दूर जाना पड़ेगा,
कितनों के हाथ का खाना पड़ेगा,
तू जहां मिलेगा वहीं आ जाऊंगा,
एक बार मेरे को देख तो सही मैं तेरे को अच्छे से भा जाऊंगा।
मैं बेरोजगार हूँ...........…............।

