Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Sukant Kumar

Inspirational

4  

Sukant Kumar

Inspirational

मैं और मेरा मन, हमेशा

मैं और मेरा मन, हमेशा

3 mins
598


मैं ये करना चाहता हूं,

पर मुझसे नहीं होगा,

इसलिए मैं नहीं करूंगा।


पर मैं ये चाहता हूं,

तो खुद कर लो फिर,

कोशिश तो करो,

क्या फायदा,

मैं जानता हूं, मुझसे नहीं होगा।


अच्छा बताओ,

क्या जायेगा अगर कोशिश की तो?

मेरा आत्मसम्मान, मेरी छवि, शायद।

और अगर कोशिश नहीं की तो?

तुम्हारा सपना,

वैसे भी सपना तो भविष्य में है,

और भविष्य का क्या ठिकाना!


तो तुम कोशिश नहीं करोगे?

नहीं,

पर तुम्हें ये चाहिए?

हां,

वो क्या है जो अनिश्चित है?

भविष्य,

क्या मौत निश्चित है?

हां,

क्या तुम मर चुके हो या मर रहे हो?

नहीं,

तो मौत भविष्य में है?

हां,

पर भविष्य तो अनिश्चित है न?

हां,

पर दोनों एक साथ तो सही नहीं हो सकते?

नहीं।


ठीक है, ठीक है,

मैं कोशिश करूंगा,

पक्का ना,

पूरे तन, मन, धन से करोगे,

देखो अब तुम मुझे परेशान कर रहे हो,

मुझे अकेला छोड़ दो,

अभी कुछ पक्का नहीं,

अरे यार! अभी जाने दो…


जब मैं जवान था,

तब मैं समझदार था,

और मन बच्चा,



उम्र गुजरते हुए,

मन समझदार होता गया।


काश! मैंने कोशिश कर ली होती,

मेरे साथ क्या गलत हो गया?

हिम्मत!

मेरे दोस्त,

हिम्मत!

जो न मन का गुण है न मौत का।

तुम तो बहुत पहले मर चुके थे,

ये तो बस अंत है।


तुम मन के छल से,

और अपने तर्क से हार गए।

हाय री किस्मत!!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational