Taj Mohammad

Inspirational

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Taj Mohammad

Inspirational

मैं आज की बेटी हूं

मैं आज की बेटी हूं

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मैं आज की बेटी हूं,,,

मस्तक ऊंचा करके जीती हूं।।

समाज का मैं अब,,,

कोई अपमान ना सहती हूं।।


मैं आज की बेटी हूं...

मान,सम्मान से मैं जीती हूं।।

जग के रीति रिवाज़ का,,,

डटकर सामना करती हूं।।


रोना धोना मैंने छोड़ दिया है,,,

स्वयं को मै सम्मान दिलाती हूं।।

मैं पढ़ लिखकर अब,,,

पुरुषो संग ताल मिलाती हूं।।


नारी हूं मै सम्मान की,,,

कोई भोग की वस्तु नहीं।।

बहुत जी लिया अपमान की,,,

अब मैं केवल आभूषण वस्त्र नहीं।।


सारे रूप है मेरे अन्दर,,,

अब मै भी हूं एक गहरा समंदर।।

चलने को सारी जमीं पड़ी है,,,

उड़ने को है ये नीला अंबर।।


मै ना केवल उर्वशी,रंभा हूं,,,

रूप में अब दुर्गा,चण्डी मैं काली हूं।।

अत्याचार अब ना सहूंगी,,,

मैं भी हो गई अब शक्तिशाली हूं।।


योद्धा बनकर मैं लड़ती हूं,,,

किसी से मैं अब ना डरती हूं।।

मै भी अब इंसान बनी हूं,,,

बंदिशो में अब ना रहती हूं।।


मैं आज की बेटी हूं।

मैं सुख मैं समृद्धि हूं।।

ईश्वर की मैं सुन्दर कृति हूं।

मैं स्वयं में एक सम्पूर्ण सृष्टि हूं।।


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