माटी में पड़ी राख है
माटी में पड़ी राख है
इस माटी मेे पड़ी राख है
यादों से अलग कुछ नहीं पास है।
कैसे बताऊं वो मेरा बाप है।
मेरे गांव की मिट्टी तेरे
कण कण में समाई।
आज फिर उस भगवान की याद आई है।
जो अकेला कोने मेे रो दे
जो कर्ज उठाकर अपना सुख खो दे।
जो कुर्ता फटा पहने
जो चप्पल टूटी पहने।
जिसने उम्र भर बोझ उठाया हो
वो रोया नहीं मेरे समाने
अपना फर्ज निभाया हो।
उन का दोष नहीं कुछ था
बचपन में वह बहुत खुश था।
कर्ज उठा कर फसल बेचकर जिसने हम पाला है
बापू आज नहीं मेरे साथ है।
इस माटी मेे पड़ी ये राख है
कैसे बताऊं वो मेरा बाप है।
पिता से दिन पिता से शाम मेरी है।
पिता से मै पिता से जान मेरी है।
पिता वो आसमान है सर की छत मेरी है।
पिता तो पिता है पिता से हर ख्वाहिश मेरी है।
पिता से मेरा वजूद पिता से घर की सूरत मेरी है
पिता से कंगन झुमके मंगलसूत्र पिता से मां मेरी है
जो पिता की सेवा नहीं करते वो श्राप है
इस माटी में पड़ी है राख है
कैसे बताऊं वो मेरा बाप है।