मातृभूमि
मातृभूमि
मातृभूमि भारत है प्राण प्यारा भारत
आर्षभूमि भारत है देवभूमि भारत l
जननी हमारी भारत है कर्मभूमि भारत l
सदियों से ज्ञानगंगा रहती है इसमें बहती
ऋषियों की गिरा यहाँ पर वेदों मे प्राण भरती l
हम भी प्रसून इसमें खिलते रहे हैं तबसे
देवेश की ये रचना बनी मेदिनी है जबसे l
कुछ धूर्त हैं यहाँ पर अंक मे जो इसके पलते
माता ये प्राण प्यारी इसको न माँ हैं कहते l
कृतघ्न मूढ़ जन ये ऐसे भी पल रहे हैं
गोदी मे इसके कबसे जी भरके जी रहे हैं l
अवनि है सबसे प्यारी भारत हृदय है इसका
सिंगारिया बना है परमेश भी तो जिसका l
सबसे पुनीत भारत है स्वर्ग सा ये भारत
रमणीयतम है भारत है कुलीन भी ये भारत l
मातृभूमि भारत है प्राणप्यारा भारतl