बेटी
बेटी
बेटी का जो जन्म, जिस घर में होता है
सौभाग्य भी दस्तक, उस घर में देता है।
बेटी का ये जन्म दुर्लभ होता है।
मानव क्यों इसको समझ न पाता है।
बेटी का तो जन्म अलभ्य होता है
मानव ही जग में सभ्य होता है।
बेटी जन्म से ही तो वंद्य होती है
नारी बनकर के भव्य होती है।
रक्षा बेटियों की अब सबको करनी है
बेटियों से ही सँवरती धरणी है।
अनमोल है बेटी अनुपम नारी है
सबको तो अब ये समझना जरुरी है।