मातृ-भाषा
मातृ-भाषा
बड़ी उम्मीदों से, 'गूँ-गां',
बचपन, किया करता है,
मां से कुछ मांगता है
कहता है, समझ जाया करो.
सूने माथे पे, अजीब-सी
खामोशियों की दस्तक है
रोली, चावल का
कोई तिलक लगाया करो.
घर के कोनों में, चुप-चाप
कहां बैठे हो
दिल मे हलचल है
तो इसे शब्दों में तैराया करो.
तंग भाषा पे, इतना रंज
क्यूँ किया करते हो,
जिसमे सक्षम हैं
वहीं हाथ आजमाया करो.
