मार्निंग वॉक
मार्निंग वॉक
बहुत दिनों बाद
आज फोटो खिंचवाया
थोड़ा कमजोर
थोड़ा बुढ़ा नजर आया
चेहरे पर थीं झुर्रियां
आंखें कुछ धंसी धंसी
माथे का बाल उड़ा
मुंछ दाढ़ी पकी पकी
दोस्तों की
जो थी एक टोलियां
यादों की खजानों से
उसका एक लिस्ट बनाया
खोज खबर लिया
कुछ था बिमार
कुछ को जाने की तैयारी में पाया
सुन जी घबराया
तभी डाक्टर ने थर्मामीटर लगाया
बुखार एक सौ एक
नाड़ी गति कुछ धीमी थी
एक प्रश्न मन में जो उभरी
इति सी जिंदगी में
क्या खोया क्या पाया
और निष्पक्ष मूल्यांकन में
उसे भी शून्य पाया ।
बावजूद इसके
रातों को नींद नहीं आती है
कभी संदुक
कभी पोटली खंगालता हूं
अर्थविहीन अर्थ को
बारम्बार निहारता हूं
एक अधूरेपन का एहसास
जैसे प्रांगण पड़ा पायदान
तभी भोर खिलखिला हंसता है
उठ मरदे
व्यर्थ की चिंता क्यों करता है
अभी कुछ दिन तुम और चलेगा
एक काम कर
कोलेस्ट्रॉल है तुम्हारा बढ़ा हुआ
मार्निंग वॉक पर नित दिन जाया कर।