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Minal Aggarwal

Inspirational

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Minal Aggarwal

Inspirational

मानवीय संवेदनाओं का महोत्सव

मानवीय संवेदनाओं का महोत्सव

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महोत्सव 

एक बड़ा उत्सव मनाने के 

लिए 

किसी का दिल भी बड़ा 

होना चाहिए 

मैं तो धन खर्च करके 

कोई उत्सव भी नहीं मना सकती क्योंकि 

मैं गरीब हूं 

मेरे पास धन नहीं है 

इसके अभाव में अपने वैभव का 

प्रदर्शन भी मैं नहीं कर सकती लेकिन 

मैं उत्सव मनाती हूं 

हर पल मनाती हूं 

दिल खोलकर मनाती हूं 

सबकी खुशियों में शामिल होती हूं 

कोई रो रहा हो तो उसे हंसाती हूं 

यही छोटे छोटे मानवीय प्रयास 

एक दिन बड़े उत्सव की,

महोत्सव की शक्ल ले लेंगे 

एक दुनिया वह है जो 

खुली आंखों से दिखती है और 

एक ऐसी भी जो किसी मनुष्य के 

भीतर है और 

आंखों को करो जब बंद 

तभी दिखती है 

खुद को इतना महान बना लो कि

सारी सृष्टि को खुद में कहीं समेट लो 

हर किसी से एक अपनापन महसूस 

करो 

जुड़ाव महसूस करो 

एक रिश्ता कायम करो 

उसे अपने साथ लेकर चलो 

कोई विपत्ति पड़ने पर 

उसका साथ कभी न छोड़ो 

मानव के रूप में जन्म लिया है तो 

मानव जैसा व्यवहार कर 

एक अच्छा और 

भला मानस बनने की 

कोशिश तो करो 

तुम्हारी यही पहल तो 

खोलेगी एक उत्सव का द्वार 

और फिर सब जो जुड़ जायेंगे 

एक साथ 

तो वही एक सुनहरा पल 

होगा जिसमें होगा 

एक मानवीय संवेदनाओं के 

आकाश को छूता 

एक आनंद और उत्साह से भरा 

मंगलकारी महोत्सव।


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