मानवीय मूल्यों की माला -2
मानवीय मूल्यों की माला -2
दोस्ती
रूठा हुआ यार जब, मान जाता है,
सारा आलम स्वर्ग सा नज़र आता है।
सपने भी सुहावने ही आने लगते हैं,
दिल और मन में भी जोश भर जाता है।
फूल गुलाबी, खिल उठते हैं चमन में,
हर बाग़ महका महका नज़र आता है।
प्यार मुहब्बत है बना दौलत जिसकी,
वह खुद को बड़ा धनवान पाता है।
कोई अलौकिक शक्ति है समाई इस में,
हासिल हुई जिसे, वह झूमता गाता है।