मानवीय मूल्यों की माला-2
मानवीय मूल्यों की माला-2
परिवार और परवरिश
वो ही तो होता है, प्यारा प्यारा सा परिवार,
जिसके हर सभ्य में होते हैं सुन्दर संस्कार।
जिस घर का मुखीया हो बड़ा ही समझदार,
देता है घर में, सब को समान आदर सत्कार ।
जहां बच्चों की परवरिश दिल जान से होती है,
होती नहीं वहां कभी छोटी - मोटी तकरार।
जीवन में आती - जाती रहती है धूप-छांव,
फिर भी वहां छाई रहती है हरदम ही बहार।
जिस घर की परवरिश में कोई कमी रह जाए,
वहां मुसीबतें और मुश्किलें आती रहती हैं हजार।
बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अत्यंत ज़रूरी है,
घर में बड़ों का कभी नरम तो कभी कठोर व्यवहार।
मोह माया और ममता का भी हो भले ही इज़हार,
मगर इसका ज्यादातर उपयोग होता है हानिकर ।
जिसने भी रखा है व्यवहार में संतुलन हमेशा,
होता है उस परिवार का हरदम ही सुखी संसार।
अच्छी परवरिश ही दिलाती है कामयाबी हर जगह,
और होता है उसी का ही चहुँ ओर नामाचार।