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mohammad imran

Inspirational

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mohammad imran

Inspirational

माँ

माँ

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गर्व में तेरे पला-बढ़ा मैं

नौ महीने तूने बोझ उठाया

दर्द दिया जब पैदा हुआ

मेरे लिए माँ तूने कितना सितम पाया II

दूध पिया तब भी तेरा मैं

जब तू भूखी प्यासी थी

आँचल में तेरे ,कितनी अच्छी निंदिया आती थी 

गिला कर बिस्तर को तेरे

मैं सूखे बिस्तर का राजा था

लोरी तेरी सुनके मैं,माँ

सपनो की दुनिया में चला जाता था II

तेरी ऊँगली पकड़ कर

चलना सीखा,गिरता तो

तेरी आह निकल सी जाती थी

गोद उठा के,गले लगा के तू कितना आंसू बहती थी

मेरी जरुरत को पूरा करने को माँ

तू अपनी सारी जरुरत भूल जाती थी

पापा से तू डाट भी सुनती झूठी भी कहलाती थी

दुनिया में तेरे सिवा माँ

कहा कोई सच्चा

तेरे रिश्ते के आगे सारा रिस्ता कच्चा है

तेरे कदमों के जन्नत को पालू मां, यही मेरी इच्छा है!


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