माँ
माँ
कृष्ण की बाँसुरी सी
मंदिर में ईश की मूरत सी
गरीब की इज्जत सी
जीवनदायिनी सांसों सी
रेगिस्तान में पहली फूहार सी
ठूँठ पेड़ में नये पत्ते सी
थके राहगीर पर पड़ी छाया सी
विराने में खिले फूल सी
गालों पर लुढ़कते आसुँओ
के बीच हल्की मुस्कान सी
राधा के गिरधर सी
और बनते घर की नींव सी
मेरी माँ