Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

PRITAM KASHYAP

Abstract Inspirational Tragedy

4  

PRITAM KASHYAP

Abstract Inspirational Tragedy

माँ

माँ

1 min
335


माँ होती है तब,

 याद ना आती है,

 जब माँ नहीं होती है,

 तब बहुत ज्यादा याद आती है ।


आंखें हमेशा क्यों भर आता है,

दिल हमेशा क्यों सहम जाता है,

क्यों दूसरे लोगों में अपनी माँ 

की तलाश दिल करता है,

क्यों दिल दिमाग रोज-रोज

उनके बारे में सोचता है ?


और सोचने को मजबूर करता है,

फिर भी माँ के गम मे दिल रोता है ।

सोचता हूं की दोस्त पर कभी माँ ना होने पर,

मैं हंसता था, क्यों आज मैं आंखें ना मिला पाता हूं,

रात में चैन से ना सो पाता हूं,

चीख-चीख कर माँ -माँ चिल्लाता हूं ।


जब माँ का नाम कोई लेता है,

तब माँ की यादें में खो जाता हूं,

पागल सा हो जाता हूं ,

बेचैन सा भी हो जाता हूं,

घबरा सा भी जाता हूं।


सोचता हूं कि माँ बिना क्या जीना है,

जीना भी यह जीना कैसा,

खट्टी-मीठी यादें आती है,

तब हाथ डगमगा जाती है,

माँ , माँ , माँ दिल कहता है ।


लोगों से दिल क्यों डरता है,

कमरे में बंद करके माँ की तस्वीर देखता हूं,

और माँ की यादों में खो जाता हूं,

उसे भुला ना पाता हूं ।।


-----------------------------------------------प्रीतम कश्यप------------------------------------------------


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract