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Suman Singh

Abstract

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Suman Singh

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माँ

माँ

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माँ से बढ़कर ना कोई इस दुनिया मे

मेरे साथ यूँ ही हमेशा रहती है।

मैं हँसती हूँ तो हँसती है,

मैं रोती हूँ तो आँख उनकी भी भर आती है।


जीवन को कैसे जीना है,

ये माँ मेरी सिखलाती है।

ऊँच- नीच नियम कायदे

सब वो समझाती है।


कठिनाई में हाथ पकड़ वो

मुझे रास्ता दिखाती है।

गम में भी हँसती रहती है,

कभी कुछ न वो कहती है।


मैं ही हूँ उसकी दुनिया,

दिल मे प्यार की गंगा बहती है।

मेरे ला लड़ाती है,

उंगली पकड़ चलना सिखाती है।


मैं ही हूँ परछाई उनकी,

कितना मेरा लाड़ लड़ाती है।

कभी ना होना माँ मुझ में दूर,

चाहे कितनी भी हो मजबूर।


तू ही जान है मेरी जिंदगी की,

तू ही है मेरा गुरूर।


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