मैं नारी हूँ ।
मैं नारी हूँ ।
मैं कोमल हूँ तो मैं कठोर भी
शांत हूँ तो कभी शोर भी
माँ बन बच्चे को दुलारती हूँ
बहन बन भाई को संभालती हूँ
बेटी बन पापा का लाड़ में पाती हूँ
पत्नी बन पति का साथ निभाती हूँ
टीचर बन बच्चों को राह दिखाती हूँ
दोस्त बन दोस्ती भी खूब निभाती हूँ
कभी मुस्कुराती हूँ , कभी गुनगुनाती हूँ
कभी अपनी ही सोच में खो जाती हूँ
घर और बाहर की जिम्मेदारी निभाती हूँ
कठिनाइयों में भी नहीं घबराती हूँ
हर रूप में खड़ी हूँ मैं इस संसार में
खुश हो जाती हूँ थोड़े से प्यार में
सशक्त हूँ , कुछ भी करने का हौसला रखती हूँ
पँखो के बिना भी ऊँची उड़ाने भरती हूँ
हर दिन मेरा ही दिन है, मुस्करा कर स्वागत करती हूँ
गिरती हूँ, संभलती हूँ, जीवन की हर राह पर निडर में चलती हूँ।