बेटियाँ
बेटियाँ
आओ जरा कुछ सवाल हो जाए
हम भी उनके जवाब दे पाए
बेटियों के इस संसार को जरा हम
करीब से देख पाए , देख पाए
क्यूँ बेटियों को कमजोर माना जाता है
क्यूँ बेटियों को किसी ओर के नाम से जाना जाता है
पहले पिता , फिर पति उसके बाद पुत्र इस ‘प ‘
के इर्द – गिर्द बेटी का सारा जीवन निकल जाता है
क्यूँ वह कभी अपने पंख फैला नहीं पाती
क्यूँ उसकी मौत गर्भ मे ही हो जाती
क्यूँ समाज के दरिंदे उसे अपना शिकार बनाते
क्यूँ माँ बाप बेटियों को है छुपाते
क्यूँ आज भारत महान इतना परेशान है
क्यूँ समाज मे आज भी हैवान है
क्यूँ बेटियों के जन्मते ही चिंता सताती
क्यूँ बेटियाँ पराए घर भेज दी जाती
इतनी लायक होने पर भी
क्यूँ वह ससुराल मे ताने सहती
क्यूँ अपने गमों को किसी से ना कहती
क्यूँ दहेज़ के नाम पर वह जला दी जाती
क्यूँ वह ही घर के सब कामों का बोझ उठाती
माना की दुनिया मे सब लोग बेटियों के दुश्मन नहीं
पर जो मैंने कहा वह भी है सही
आओ थोड़ा इस समाज को बदल डाले
बेटियाँ भी अपना सही मुकाम पा ले
मिलकर जब हम सब कदम उठाएगे
तभी तो इस जहाँ को सुंदर बनाएगे