माँ
माँ
क्या कहूँ ?
क्या लिखूं ?
मेरी हर सांस
मेरी हर धड़कन
तेरे नाम , बस तेरे नाम
क्या प्यार में बस प्यार होता है ?
क्या नफरत में बस नफरत होती है ?
माँ की नजरों से देखो
प्यार में अपनापन भी होता है !
नफरत में भरोसा भी होता है ।
जब भी माँ को देखती हूँ
बस एक ही बात जहन में आती है
मेरी हर धड़कन
मेरी हर सांस
बस तेरे नाम , बस तेरे नाम ।
कहने को शब्द छोटा लगता है
पर अपने आप में पूरा है "माँ"
शब्द छोटा लगता है
लेकिन अहसास बहुत बड़ा है ।
जब भी इस शब्द को देखूँ
मेरा दिल कहे
मेरी हर धड़कन
मेरी हर सांस
बस तेरे नाम , बस तेरे नाम ।
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