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Pallavi PS

Abstract

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Pallavi PS

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माँ तू ही सर्वस्व है।

माँ तू ही सर्वस्व है।

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माँ तू ही सर्वस्व है, तू ही जगत है माँ

तू ही जननी है, तू ही शक्ति है  

तू मेरी गुरु है माँ, तू मेरी सखी है

 तू मेरी आरंभ है, तू मेरा घमंड है


तू जीवनदायिनी है, तू ही तो महामाया है

तू स्नेही है माँ, तू मेरी मंगल है

तू कामना है माँ, तू मेरी भावना है

तू बेला है, तू ही उगता सबेरा है


तेरी गोद मेरी सुकून की सय्या है माँ

तू सागर की नैया है, तू ही मेरी खेवैया है

तू मेरी नेत्र है माँ, तू ही उद्देश्य है

तू मेरी भेष है, तू मुझमें विशेष है


तू भीषण ग्रीष्म की शीत है,

तू संघर्ष में लहराती अजीत है

तू अपान है माँ, तू ही व्यान है

तू मेरे गीत की अंतरा है, तू ही संगीत है


तू मेरा ब्रह्मांड है , मैं तेरी एक अंशिता हूँ

तू मेरी प्रीति है, मैं तेरी एक कृति हूँ

तू मेरी श्रद्धा है, मैं तेरी आराधक हूँ


तू मेरी आनन है माँ, मैं तेरी छवि हूँ

तू मेरी हर्ष है माँ, तू ही सर्वस्व है माँ

माँ तू ही सर्वस्व है।


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