मां तो मां होती है।
मां तो मां होती है।
याद दिलाई वो यादें,
जब लाती मां कुएं से पानी थी,
और बनाती सभी माताएं एक दूजे की चोटी थी,
बच्चा हो या जानवर मां तो मां होती,
सब पर अपनी ममता लुटाती,
देखा जब उसने कैसे बलि चढा रहे बकरे की,
पिघल रहा मां का ह्रदय था,
देख उसे रोकना उसे चाहा था,
पर भला एक की आवाज कर दी गई अनसुनी,
क्योंकि वहां सभी अपनी ही मस्ती में मस्त था,
लेकिन उस मां ने हाथ बढ़ाया रोकने का किया प्रयास,
क्योंकि थी तो वो मां,
ध्यान रख इंसान जब जब संतान पर आंच है आई,
मां ने धरा रूप दुर्गा का, मत समझ कम उसकी शक्ति को,
वो अकेली भिड़ जाएगी जब बात उसके बच्चे की आए,
फिर चाहे वो जानवर हो या मासूम इंसान।