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Shahid Ajnabi

Classics

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Shahid Ajnabi

Classics

माँ मेरी बहुत प्यारी है

माँ मेरी बहुत प्यारी है

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माँ मेरी बहुत प्यारी है 

मुझे डांटती है, मुझे मारती है 

फिर मुझे खींच के 

सीने से लिपटा लेती है 

माँ मेरी बहुत प्यारी है। 


चौका बासन भी करती है 

घर का सारा काम वो करती है 

ग़म मेरे होते हैं ,और उठा वो लेती है 

माँ मेरी बहुत प्यारी है।


देर रात मैं खाने को कुछ कह दूं 

मेरे ऊपर चिल्लाती रहती है 

मगर ख्वाहिश फिर भी पूरा करती है 

माँ मेरी बहुत प्यारी है। 


चलो आज बैठक धो दूं 

चलो आज आँगन धो दूं 

कुछ नहीं, तो कोई काम

निकाला करती है 

माँ मेरी बहुत प्यारी है। 


जब भी घर से आऊँ 

बस यही कहा करती है 

बेटा घर खाली हो गया 

अब कब आओगे 

माँ मेरी बहुत प्यारी है। 


उसकी उँगलियों में न

जाने कौन सा जादू है 

हाथ मेरे सर पे रखती है 

और खुद अपनी आँखों को

भिगो देती है 

माँ मेरी बहुत प्यारी है। 


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