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Harshita Dawar

Inspirational

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Harshita Dawar

Inspirational

माँ की वेदना

माँ की वेदना

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दिल की वेदनाओं को यूं

इस कदर झंझोड़ दिया

दिल को दस्तक देकर क्यूँ

फिर अंगारों में झोंक दिया

दिल में जकड़े जिस्म को क्यूँ

कांटों से पिरो दिया

कोख से जन्मी बेटी को मेरी पीड़ा

का हम साथी क्यूँ बना दिया


क्यूँ, उसको बचपन में ही

भोगी बना दिया

किस्मत का लिखा मैं माँ

बन कर चुकाऊँगी

बेटी की मान इज्ज़त को

दाँव पर ना लगाउंगी

दिल में उतर गई पैदा होते

ही बेटी मेरी परछाईं

यूं परछाईं को लुप्त ना

होने दूँगी


मेरे वेदनाओं से कोसों दूर

कर दूँगी

मेरी ये ओढ़नी में लगे खून

के धब्बों को खुद ही मिटाती

रहूँगी

बचपन की दहलीज को यूं

ही नहीं लांघने दूँगी

अकेली ज़िन्दगी की कड़वी

सच्चाई का सामना करूंगी

माँ बन कर उसको अपने

आंचल में ढक लूंगी 


काले बादलों की परछाईं भी

ना लगने दूँगी

डगमगाती राहों पर खुद को

कंकड़ चुभने दूँगी ।  

मेरी किस्मत में लिखें अरोपों

को खुद ही महसूस करुंगी

अब बचपन की देहलीज लाँघ बैठी है

मेरी बेटी मेरी हमराही बन रही है

मेरे अश्कों को अपने दिल के

एहसासों से यूं पोंछ देती है

मानो वो मेरी सांसे जीने लगी है

क्योंकि माँ बेटी की सबसे

अच्छी दोस्त बन जाती है

ख़ुशी ग़म वेदनाएं आरोपों के

बवंडर में यूं खोती जा रही थी

हर्षिता की भूमिका सी किरन

बनकर ज़िन्दगी में लाई थी।


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