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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

मां की ममता

मां की ममता

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एक मां की ममता मापी न जाये

सागर की गहराई छोटी पड़ जाये

मां की ममता मनु, सुर, गंधर्व गाये

मां धरा का जीवित खुदा कहलाये


अपनी संतान के खातिर एक मां,

मौत देवता यम तक से लड़ जाये

मां बिन संसार रचना सोची न जाये

एक मां की ममता मापी न जाये


गीले में सो, संतान सूखे में सुलाये

इसके स्नेह की गणना की न जाये

मां के आगे चाँद फीका पड़ जाये

मां सृष्टि की दूजी रचयिता कहलाये


पूत कपूत सुने, माता बुरी न भाय

बेटे खुशी खातिर, विष भी पी जाये

इसकी तू साखी हमेशा ही कद्र कर,

मां से ही यह दुनिया जन्नत बन पाये


एक मां की ममता मापी न जाये

सागर की गहराई छोटी पड़ जाये

मां बिना जिंदगी जन्म न ले पाए

शुक्रिया खुदा, मां रूपी कृति बनाये



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