मां की आराधना
मां की आराधना
नवचेतन नवरूप लिए मां
जग को है उजियार किए मां।
ज्ञानी ज्ञान विज्ञान तू ही मां
माणि मंडित मकरंद तू ही मां।
योग वियोग प्रयोग तुम हीमां
जन्म मरण संयोग तुम ही मां।
निर्गुण सगुण प्रमाण तू ही मां
तन मन धन संसार तुम ही मां।
धरणी धरम धुरी तुम ही मां
मन मानस आगार तुम ही मां।
शुभ दर्शन शुभ लाभ तुम ही मां
आयु उन्नति प्रसार तू ही मां।
मानव मन विस्तार तू ही मां
सरल गरल तप ध्यान तुम ही मां।
निर्गुण सगुण प्रमाण तुम ही मां
तन मन धन संसार तुम ही मा।