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Neeraj pal

Abstract

4.5  

Neeraj pal

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माँ का दामन।

माँ का दामन।

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कठिनाइयों भरा जीवन है मेरा, तुम मेरे हृदय में आ जाओ

 कैसे याद करुँ मेरी जिया माँ, दया करके बतला जाओ


मैं तो ठहरा अबोध बालक, समझ तुमको मैं न सका

 पी-पी कर विषयों का प्याला, माया मोह से निकल ना सका

 अब लाज मेरी तेरे चरणों में, धीरज तनिक बँधा जाओ

कठिनाइयों..…..


 कहाँ-कहाँ तुम्हें ना ढूँढा, कितने हैं तुमने रूप बनाये

 सब वेदों का सार तुम्हीं हो ,तुमने ही इंसान बनाये

 तुम तो हो ममता की मूरत, बिगड़ी मेरी बना जाओ

कठिनाइयों...........


 तेरे दर्शन करने को, ना जाने कितने हैं जीव खड़े

 समदर्शी है नाम तुम्हारा, यह सोच तेरे द्वार पड़े

चरण -रज पाने की खातिर ,"नीरज" की बिगड़ी बना जाओ

कठिनाइयों.........


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