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Brajendranath Mishra

Abstract

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Brajendranath Mishra

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माँ का आँचल

माँ का आँचल

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माँ का आँचल,

हृदय की धड़कन,

बालक माँ के गोद में,

सुरक्षित उसका जीवन।


बचपन में बालक जब भी

करता है मल- मूत्र -विसर्जन,

माँ उसको नई उत्साह से

करती अंतः वस्त्र परिवर्तन।


माँ की आशाओं का अंकुर,

यत्न से वह करती है,

उसका लालन पालन।


कितना सुकून है माँ के

आँचल में बीते बचपन।

माँ तेरी ममता से सिंचित

हो मेरे प्राणों का पोषण ।


माँ तेरे सपनों का सुंदर,

मैं निर्मित करूंगा,

एक भव्य भवन।


माँ मेरे तू रहती पास

स्नेह की देती शीतल छाँह,

माँ मेरी त्रुटियों पर देती,

सुधार करने की सही सलाह।


तेरी आशाओं के अनुरुप

आगे बढ़, जग में कुछ

नए करूँगा परिवर्तन।


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