माँ जादू तेरे हाथों का
माँ जादू तेरे हाथों का
माँ तुमने ही जीवन का किया श्रृंगार पीयूष रस छलकाया है,
अपने आंचल का देकर स्पर्श ,तुमने प्यार अपना बरसाया है,
जादू तेरे हाथों का पाकर ,जीवन का नव अंकुर खिल उठता,
अपने आंचल में भरकर , माँ भवसागर तूने ही पार कराया है,
अपने सपने भूल ख्वाबों के सतरंगी रंग बुनना हमें सिखाया है,
अपने आंचल की छांव से तूने ही, हमें जीवन गान सुनाया है,
वो हरपल तेरा साथ रहना,आज भी याद है जादू तेरे हाथों का,
उंगली पकड़कर चलना और उठना तूने ही हमको सिखाया है,
सारी थकान पल में मिट जाती जब हाथ तेरा सर पर आता है,
आशा ,विश्वास ,नया जोश तुझसे ही आता हर डर मिट जाता है,
अपनी बाहों में भर कर जब भी तुम मुझको गले लगा लेती हो,
माँ तेरे ही जादू से हर अंधियारे में दीप खुशियों का जलता है,
उस कड़कती धूप में भी तुम पेड़ की घनी छांव बन जाती हो,
भटकने ना देती कहीं, सही गलत का फर्क मुझे समझाती हो,
चाहे कोई भी बीमारी हो जाए, पहला उपचार तुमसे ही मिलता,
जादू तेरे हाथों में ,हर बीमारी में वैध हकीम तुम बन जाती हो,
जीवन की तुम पहली पाठशाला तुमने जीना हमें सिखाया है,
सच्ची राह दिखाकर सही गलत का मतलब हमें समझाया है,
तेरे हाथों से पाकर एक निवाला भी , मन मेरा तृप्त हो जाता,
ठोकर खाई जब भी मैंने राहों में , तूने ही मुझे गले लगाया है I