Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कुमार संदीप

Inspirational

3.6  

कुमार संदीप

Inspirational

माँ,हाँ माँ!

माँ,हाँ माँ!

1 min
23.9K


माँ !

हाँ माँ, तेरी शख़्सियत को कर सकूं बयां शब्दों में

इतनी ताकत मेरी कलम में है कहाँ

तू तो नहीं करती है परवाह कभी भी ख़ुद की

बच्चों के ऊपर करती है सबकुछ न्योछावर तू।


माँ !

हाँ माँ, आँचल से ढ़क लेती है तू अपने बच्चों को

और बचा लेती है तू बच्चों को जेठ की दुपहरी की धूप से

काजल का टिका लगाकर तू बुरी नज़रों से बचाती है बच्चों को

तेरे सिवा और तुम-सा इस जहां में कोई नहीं है।


माँ !

हाँ माँ, क्या लिखूं कैसे लिखूं तुझ पर कुछ भी

जीवनदायिनी है तू तुमने ही तो मुझे गढ़ा है

तेरे बिना हम पुत्रों का कोई अस्तित्व ही नहीं है माँ

इस जगत में तुम्हारे जैसा कहाँ कोई है।


माँ

हाँ माँ, हिमालय भी बौना है तुम्हारी ममता के समक्ष माँ

आसमां की ऊंचाई कुछ भी नहीं पुत्र के प्रति तेरे प्रेम के समक्ष

तेरी महिमा अतुलनीय है अकथनीय है माँ

हाँ दुनिया की हर माँ सचमुच होती है बहुत ही अच्छी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational